नई दिल्ली -- Hindi World की प्रचीन समृद्ध और सरल भाषा हैं। यह भाषा भारत ही नही बल्कि दुनिया के कई देशों में बोली जाती हैं। इसे भारत की राजभाषा का दर्जा प्राप्त हैं। पूरे India को साथ लाने के लिए HIndi के उपलब्धि पर जोर देते गृह मंत्री Amit Shah ने आज कहा कि एक देश के लिए एक आम भाषा का होना बहुत जरुरी हैं। एक ऐसी भाषा ,जो देश भर के लिए अपनी संस्कृति और अपनी पहचान का प्रतीक बन जाए।
Hindi Day हर साल 14 सितम्बर को मनाया जाता हैं। यह भाषा दुनिया के कई देशों में बोली जाती हैं। हिन्दी बोलने वालो की सबसे बड़ी संख्या भारत में हैं। 43.63 फीसद के साथ 53.00 करोड़ भारतीय किमजदी बोलते हैं। दुनिया भर भाषाओं का इतिहास रखने वाली संस्था एथ्नोलॉग के मुताविक हिमदी दुनिया में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली तीसरी भाषा हैं।
हिंदी दिवस के अवसर पर 'एक राष्ट्र ,एक भाषा 'की पैरवी करते हुए Amit Shah जी ने कहा ,
भारत विभिन्न भाषाओं वाला देश हैं इसमे कई भाषाएं बाली जाती हैं और हर भाषा का अपना महत्व है लेकिन एक आम भाषा का होना आवश्यक है जो देश की पहचान बने. आज, अगर कोई भाषा देश को एकजुट रख सकती है, तो वो व्यापक रूप से बोली जाने वाली हिंदी भाषा है."
When did the celebration begin---
14 सितंबर 1949 को संविधान सभा में एक मत से यह निर्णय लिया गया कि हिंदी ही भारत की राजभाषा होगी। इस निर्णय के बाद क्षेत्र में प्रसारित करने के लिए राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर 1953 से पूरे भआरत में 14 सितंबर को हर साल हिंदी दिवस के रुप में मनाया जाता हैं।
Scientific language is hindi
हिंदी एक वैज्ञानिक भाषा क्यूँ है उसके पीछे कुछ कारण हैं, जैसे
क, ख, ग, घ, ङ: कंठव्य कहे गए, क्योंकि इनके उच्चारण के समय ध्वनि कंठ से निकलती है।
च, छ, ज, झ,ञ: तालव्य कहे गए, क्योंकि इनके उच्चारण के समय जीभ तालू से लगती है।
ट, ठ, ड, ढ , ण: मूर्धन्य कहे गए, क्योंकि इनका उच्चारण जीभ के मूर्धा
(मुंह के अंदर का तालु और ऊपर के दाँतों के पीछे सिर की तरफ़ का भाग जिसे जीभ का अगला भाग ट्, ठ्, ड्, ढ्, और ण वर्ण का उच्चारण करते समय उलटकर छूता है) से लगने पर ही संभव है।
त, थ, द, ध, न: दंतीय कहे गए, क्योंकि इनके उच्चारण के समय जीभ दांतों से लगती है।
प, फ, ब, भ, म: ओष्ठ्य कहे गए, क्योंकि इनका उच्चारण ओठों के मिलने पर ही होता है।
य, र, ल, व: अंतस्थ कहलाते हैं क्योंकि इनके उच्चारण के समय ध्वनि अंदर से निकलती है।
श, ष, स, ह: ऊष्म कहलाते हैं क्योंकि इनके उच्चारण करते समय अंदर से गर्म ऊष्मा निकलती है।
मैं दुनिया की सभी भाषाओं का सम्मान करता हूं, पर मेरे देश में हिंदी का सम्मान न हो, यह मैं सह नहीं सकता। आचार्य विनोबा भावे
मैं उन लोगों में से हूं, जिनका विचार है और जो चाहते हैं कि हिंदी ही राष्ट्रभाषा हो सकती है।
बाल गंगाधर तिलक
हिंदी सदैव ऐसी भाषा रही है जिसने मात्र विदेशी होने के कारण किसी शब्द का बहिष्कार नहीं किया।
डॉ राजेंद्र प्रसाद
Posted by -- Anand Pandey