नई दिल्ली: 24 घंटे बाद चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भारत के दौरे पर चेन्नई आने वाले हैं. PM Modi और जिनपिंग एतिहासिक शहर महाबलीपुरम में बैठक होगा और स्वागत की जोर-सोर तैयारी हो रही है, लेकिन चीन ने कश्मीर पर बयान देकर रंग में भंग डालने की कोशिश की. लेकिन उसके बयान पर तुरंत ही भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दर्ज कराई है।
PM Modi और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बैठक में व्यापार, सीमा विवाद, आतंकी गुटों की आर्थिक मदद देने के मुद्दे पर चर्चा की उम्मीद है, लेकिन इस दौरे से ठीक पहले कश्मीर को लेकर चीन का दिया बयान भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. चीन सरकार ने कहा कि 'कश्मीर में स्थिति पर चीन की नजर है और वे पाकिस्तान के मूल हितों से संबंधित मुद्दों पर उसका समर्थन करता है. इस मामले को संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के हिसाब से सुलझाया जाना चाहिए.'
09अक्टूबर को पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद यह बयान जारी किया गया, हालांकि कुछ घंटे बाद ही भारत ने कड़ा रूख अख्तियार करते एक बार अपने रूख को दोहराया. भारत ने कहा कि जम्मू कश्मीर भारत का आंतरिक हिस्सा है. चीन इस बात से भलीभांतिजानता है. कोई अन्य देश भारत के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी न करें.
चीन का कहना है कि जम्मू-कश्मीर के मसले पर वह नजर बनाए हुए है और भारत-पाकिस्तान को इस मसले को संयुक्त राष्ट्र चार्टर के हिसाब से सुलझाना चाहिए.शी जिनपिंग के भारत दौरे से ठीक पहले चीन की ओर से जम्मू-कश्मीर पर बड़ा यू-टर्न लिया गया है. चीन का कहना है कि जम्मू-कश्मीर के मसले पर वह नजर बनाए हुए है और भारत-पाकिस्तान को इस मसले को संयुक्त राष्ट्र चार्टर के हिसाब से सुलझाना चाहिए. चीन का ये बयान दो दिन पहले दिए गए बयान से पूरी तरह उलट है, जिसमें उसने इस मसले को भारत-पाकिस्तान के बीच का मसला बताया था. हालांकि, अब चीन के इस ताजा बयान पर भारत ने भी कड़ी आपत्ति जताई है.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान इस समय चीन के दौरे पर हैं, जहां उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की और चीनी प्रीमियर से भी मिले. इसी मुलाकात के बाद चीनी विदेश मंत्रालय की ओर से जम्मू-कश्मीर के मसले पर एक साझा बयान जारी किया गया. ये बयान उस वक्त आया है जब 11 अक्टूबर को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग महाबलीपुरम में पहुंच रहे हैं, जहां पर उन्हें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ इन्फॉर्मल बैठक में हिस्सा लेना है
चीन का कहना है कि जम्मू-कश्मीर का मसला पुराने इतिहास का एक विवाद है, जिसे शांतिपूर्ण तरीके से संयुक्त राष्ट्र चार्टर, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के नियमों के हिसाब से सुलझाना चाहिए.चीनी विदेश मंत्रालय के मुताबिक, वह इस मसले पर नज़र बनाए हुए है और उम्मीद करता है कि दोनों देश आपस में बात कर इसपर आगे बढ़ेंगे.
बुधवार को जब चीन का ये बयान सामने आया तो विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने इसपर बयान दिया. भारत की ओर से कहा गया है कि हमने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के बीच बैठक के संबंध में रिपोर्ट देखी है, जिसमें उन्होंने अपनी बातचीत के दौरान कश्मीर का भी उल्लेख किया है.
आपको बता दें कि पाकिस्तान की ओर से जम्मू-कश्मीर का मसला दुनिया के लगभग हर मंच पर उठाया जा चुका है, लेकिन हर बार भारत ने इस मसले पर करारा जवाब दिया था. भारत ने सभी मंचों पर अपनी स्थिति को साफ किया है कि जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 निष्प्रभावी करना भारत का आंतरिक मामला है और इसे संविधान के मुताबिक लिया गया है. ऐसे में किसी अन्य देश को इस मसले पर बयान नहीं देना चाहिए.